Day 7: यीशु – इम्मानुएल (परमेश्वर हमारे साथ)

📖 मुख्य वचन:
“और देखो, मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ।” – मत्ती 28:20

मनन:

यीशु इम्मानुएल क्यों कहलाते हैं?इम्मानुएल” का अर्थ है — “परमेश्वर हमारे साथ“। यह केवल एक नाम या उपाधि नहीं है, बल्कि हमारे जीवन का सबसे बड़ा आश्वासन है। यह वचन हमें याद दिलाता है कि सृष्टिकर्ता, जिसने आकाश और पृथ्वी की रचना की, वही हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारे साथ है। जब यीशु इस धरती पर आए, तो उन्होंने परमेश्वर के इस वादे को पूरा किया कि वह अपने लोगों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। यही कारण है कि मत्ती 1:23 में लिखा है कि उनका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा, जिसका अर्थ है — परमेश्वर हमारे साथ

यीशु ने अपने शिष्यों से विदाई के समय यह महान वादा किया कि वह संसार के अंत तक उनके साथ रहेंगे (मत्ती 28:20)। यह केवल उनके बारह शिष्यों के लिए नहीं था, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो उन पर विश्वास करता है। यही वादा हमें आज भी संभालता है। चाहे समय कितना भी बदल जाए, परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, यह सत्य स्थिर रहता है कि परमेश्वर हमारे साथ है। यीशु की उपस्थिति का अर्थ है कि हम कभी भी अकेले नहीं हैं। हमारी खुशियों में, हमारी सफलताओं में, वह हमारे साथ आनंदित होते हैं। लेकिन सबसे अद्भुत बात यह है कि हमारे आँसुओं और संघर्षों के समय भी वह हमें छोड़ते नहीं। जब जीवन की राह कठिन हो जाती है, जब लोग हमें छोड़ देते हैं, जब हम स्वयं को असहाय और निराश महसूस करते हैं—तब यीशु हमारे साथ चलते हैं। उनका साथ केवल सांत्वना नहीं देता, बल्कि हमें सामर्थ्य, मार्गदर्शन और आशा भी प्रदान करता है।

मनुष्य का स्वभाव ऐसा है कि वह अकेलेपन से डरता है। हमें companionship की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि जब हम अकेले होते हैं तो हमें असुरक्षा और भय घेर लेते हैं। लेकिन जब हमें यह एहसास होता है कि यीशु हमारे साथ हैं, तब यह अकेलापन मिट जाता है। उनकी उपस्थिति अदृश्य हो सकती है, लेकिन उनका प्रेम, उनकी देखभाल और उनकी शांति हमारे जीवन में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। मानव पिता चाहे अपने बच्चों से कितना भी प्रेम करें, वह हर समय उनके साथ नहीं रह सकते। उनकी सीमाएँ हैं। वे केवल एक ही स्थान पर हो सकते हैं और कई बार असमर्थ हो जाते हैं। लेकिन हमारा स्वर्गीय पिता सर्वव्यापी है। वह हर स्थान पर है और हर समय हमारे साथ है। वह जानता है कब हमें थामना है, कब हमें आगे बढ़ाना है, और कब हमें अपने कंधों पर उठा लेना है। यही कारण है कि उसका प्रेम अद्वितीय है। उसका साथ हमें केवल सुरक्षा का ही नहीं, बल्कि आत्मिक शक्ति का भी अनुभव कराता है।

इम्मानुएल का सत्य हमें यह भी याद दिलाता है कि परमेश्वर केवल दूर से देखने वाला नहीं है, बल्कि हमारे जीवन में सक्रिय रूप से शामिल है। वह हमारे दुःखों को देखता है, हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है, और हमारे संघर्षों में हमारी मदद करता है। जब हम बीमार होते हैं, वह हमें सांत्वना देता है। जब हम टूटे हुए होते हैं, वह हमें चंगा करता है। जब हम पाप के कारण गिर जाते हैं, वह हमें क्षमा करता है और उठाता है। यही उसका इम्मानुएल होना है — परमेश्वर हमारे साथ

आज की दुनिया में जहाँ तनाव, अकेलापन और भय बढ़ रहा है, वहाँ यह सच्चाई और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। लोग तरह-तरह के साधनों में शांति और संगति खोजते हैं—तकनीक, रिश्ते, धन, मनोरंजन—लेकिन यह सब अस्थायी है। असली आश्वासन केवल यीशु में है, क्योंकि वह कभी नहीं बदलते। उनका प्रेम कल भी वैसा था, आज भी वैसा है और सदा वैसा रहेगा। परिस्थितियाँ बदल सकती हैं, लोग बदल सकते हैं, लेकिन यीशु का साथ और प्रेम कभी नहीं बदलता। यीशु का हमारे साथ होना हमें यह भी सिखाता है कि हमें हर परिस्थिति में निडर होकर जीना चाहिए। जब हम किसी अनिश्चित राह पर चलते हैं, तो हमें भय होता है कि आगे क्या होगा। लेकिन यदि हमें विश्वास है कि यीशु हमारे साथ हैं, तो यह भय मिट जाता है। हमें यह भरोसा होता है कि चाहे राह कैसी भी हो, उनका हाथ हमें थामे हुए है। यही कारण है कि भजन संहिता 23 का लेखक यह कहता है कि चाहे मैं घोर अंधकार की तराई में होकर चलूँ, तौभी मुझे कोई भय न होगा, क्योंकि तू मेरे संग है।

इम्मानुएल का अर्थ केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समुदाय और समाज में भी प्रभाव डालता है। जब विश्वासियों का समूह इस सत्य को अपने जीवन में जीता है, तो उनकी कलीसिया और उनका समाज एक नया रूप लेता है। वे एक-दूसरे के लिए आशा और प्रकाश का स्रोत बन जाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर उनके साथ है। यह आश्वासन उन्हें न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी आशीष का माध्यम बनाता है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम इस सत्य को केवल सिद्धांत के रूप में न रखें, बल्कि प्रतिदिन के जीवन में इसे अनुभव करें। हर सुबह जब हम उठें, तो यह स्मरण करें कि इम्मानुएल — परमेश्वर हमारे साथ है। जब हम कठिन निर्णय लें, तो यह विश्वास रखें कि वह हमें मार्ग दिखाएगा। जब हम कमजोर हों, तो यह भरोसा रखें कि उसकी शक्ति हमें संभालेगी। जब हम निराश हों, तो यह आशा रखें कि उसका प्रेम हमें उठाएगा।

आज यदि आप अकेलेपन, भय, या संघर्ष से गुजर रहे हैं, तो यह याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं। यीशु आपके साथ हैं। वह आपके आँसुओं को देखता है, आपकी आहों को सुनता है, और आपकी पुकार का उत्तर देता है। आप चाहे कितनी भी गहरी तराई में क्यों न हों, उसका हाथ वहाँ तक पहुँच सकता है। यही इम्मानुएल का आश्वासन है। अंत में, यह सच्चाई हमारे जीवन का स्तंभ बन जानी चाहिए कि यीशु हमारे साथ हैं — कल भी, आज भी और सदा के लिए। यह न केवल हमें सांत्वना देता है, बल्कि हमें विश्वास और साहस के साथ जीने की प्रेरणा भी देता है। इम्मानुएल का अर्थ है कि हम कभी भी अकेले नहीं, क्योंकि परमेश्वर स्वयं हमारे संग है। यही हमारी सबसे बड़ी आशा, सबसे बड़ा बल और सबसे बड़ी शांति है।

आत्म-चिंतन:

  1. क्या मैं कठिन समय में भी यीशु की उपस्थिति को पहचान पाता हूँ?
  2. क्या मेरा जीवन इस विश्वास को दर्शाता है कि परमेश्वर हर परिस्थिति में मेरे साथ है?
  3. क्या मैं दूसरों को भी यह आश्वासन देता हूँ कि वे अकेले नहीं हैं?

प्रार्थना:

“प्रभु, तेरी स्थायी उपस्थिति के लिए धन्यवाद। तू मेरे हर कदम के साथ चलता है, अंधकार में भी और उजाले में भी। मुझे सदा तेरा हाथ थामे रहने और तुझ पर भरोसा रखने की सामर्थ्य दे। आमीन।”

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